धूमकेतु (Comet) क्या है? – आसान भाषा में 1 शब्दों में जाने और इससे जुड़े इंपोरटेंट सवाल जवाब भी जाने ?
परिचय
हमारे ब्रह्मांड में असंख्य रहस्यमयी खगोलीय पिंड मौजूद हैं। इन्हीं में से एक अनोखा और रहस्यमय पिंड है – धूमकेतु (Comet)। जब रात के आसमान में एक चमकदार तारा-सा कोई पिंड लंबी पूंछ के साथ तेजी से चलता हुआ नजर आता है, तो वह अक्सर धूमकेतु होता है। यह दृश्य जितना सुंदर होता है, उतना ही वैज्ञानिक दृष्टि से भी रोचक होता है।
धूमकेतु क्या है?
धूमकेतु एक प्रकार का बर्फीला खगोलीय पिंड होता है, जो मुख्यतः बर्फ, धूल और गैस से बना होता है। जब यह सूर्य के पास आता है, तो इसकी सतह की बर्फ और गैसें वाष्पित होने लगती हैं और एक चमकदार पूंछ बन जाती है, जो सूर्य की विपरीत दिशा में फैलती है। यह पूंछ ही इसे तारे से अलग पहचान देती है।
धूमकेतु का नाम क्यों "धूमकेतु"?
"धूम" का अर्थ होता है धुआं और "केतु" का अर्थ है पूंछ। प्राचीन काल में जब लोग आकाश में एक पूंछ वाले तारे को देखते थे, तो उसे “धूमकेतु” नाम दिया गया, क्योंकि वह एक जलते हुए तारे की तरह दिखता था जिसकी पूंछ धुएं जैसी होती थी।
धूमकेतु की संरचना (Structure of a Comet)
धूमकेतु मुख्य रूप से तीन भागों से मिलकर बना होता है:
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नाभिक (Nucleus):
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यह धूमकेतु का ठोस और केंद्रीय भाग होता है।
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इसमें बर्फ, पत्थर, धूल, गैस और जैविक यौगिक होते हैं।
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आकार में यह कुछ सौ मीटर से लेकर दर्जनों किलोमीटर तक हो सकता है।
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कोमा (Coma):
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जब धूमकेतु सूर्य के पास आता है तो उसकी बर्फ पिघलकर गैस और धूल में बदल जाती है और एक धुंधलका बना देती है।
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इसे ही कोमा कहते हैं।
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कोमा नाभिक के चारों ओर फैली होती है और कई हजार किलोमीटर तक फैल सकती है।
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पूंछ (Tail):
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सूर्य की गर्मी और सौर वायु के प्रभाव से गैस और धूल पीछे की तरफ बहने लगती है जिससे पूंछ बनती है।
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पूंछ दो प्रकार की होती है:
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आयनिक पूंछ (गैस से बनी, सीधी और नीली होती है)
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धूल की पूंछ (धूल से बनी, पीली और घुमावदार हो सकती है)
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धूमकेतु कहां से आते हैं?
धूमकेतु मुख्यतः दो क्षेत्रों से आते हैं:
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कूपर बेल्ट (Kuiper Belt):
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यह नेपच्यून की कक्षा के बाहर स्थित एक क्षेत्र है।
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यहां से छोटे और अल्पकालिक धूमकेतु आते हैं।
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ओआर्ट क्लाउड (Oort Cloud):
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यह सूर्य से बहुत दूर स्थित एक काल्पनिक गोलाकार क्षेत्र है।
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यहां से लंबे समय के लिए घूमने वाले और विशाल धूमकेतु आते हैं।
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धूमकेतु की गति और कक्षा
धूमकेतु भी अन्य ग्रहों की तरह सूर्य के चारों ओर अण्डाकार कक्षा में घूमते हैं। लेकिन इनकी कक्षा अत्यधिक लंबी और खिंची हुई होती है। कुछ धूमकेतु हजारों वर्षों में एक बार पृथ्वी के पास से गुजरते हैं, तो कुछ हर कुछ दशकों में वापस लौट आते हैं।
उदाहरण:
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हैली का धूमकेतु (Halley's Comet) – लगभग हर 76 साल में दिखाई देता है।
धूमकेतु का जीवन चक्र
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नींद की अवस्था: जब धूमकेतु सूर्य से बहुत दूर होता है, तो वह पूरी तरह बर्फीला और निष्क्रिय रहता है।
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सक्रिय अवस्था: जैसे-जैसे वह सूर्य के पास आता है, उसकी सतह गर्म होकर बर्फ और गैस को छोड़ने लगती है।
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पूंछ बनना: सौर वायु की वजह से गैस और धूल पीछे की तरफ बहने लगती है और पूंछ बनती है।
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वापसी: सूर्य के पास से गुजरने के बाद वह फिर से सौरमंडल के बाहरी हिस्सों की ओर लौट जाता है।
धूमकेतु और पृथ्वी के बीच संबंध
कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति में धूमकेतु की भूमिका हो सकती है। यह विचार इस सिद्धांत पर आधारित है कि धूमकेतु पृथ्वी पर जल और जैविक यौगिक लेकर आए होंगे।
प्रसिद्ध धूमकेतु
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हैली का धूमकेतु (Halley's Comet):
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सबसे प्रसिद्ध धूमकेतु
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पिछली बार 1986 में देखा गया था
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अगली बार 2061 में आएगा
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हेल-बॉप (Hale-Bopp):
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1997 में बहुत चमकदार था
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सामान्य आँखों से भी कई महीनों तक दिखा
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NEOWISE (2020):
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2020 में दिखाई दिया
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सोशल मीडिया पर खूब चर्चा हुई
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धूमकेतु और वैज्ञानिक खोजें
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Rosetta मिशन (2014): यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा भेजा गया यान जो 67P/Churyumov-Gerasimenko धूमकेतु पर उतरा।
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Deep Impact मिशन (NASA): इसने Tempel 1 धूमकेतु पर प्रोजेक्टाइल गिराकर इसके अंदर की जानकारी प्राप्त की।
धूमकेतु और पौराणिक मान्यताएं
प्राचीन समय में धूमकेतु को अशुभ संकेत माना जाता था। भारत, चीन और यूरोप में इनका संबंध युद्ध, महामारी या राजा की मृत्यु से जोड़ा जाता था। लेकिन अब यह एक वैज्ञानिक तथ्य है कि धूमकेतु केवल खगोलीय पिंड होते हैं जिनका पृथ्वी पर कोई अशुभ असर नहीं होता।
भविष्य में धूमकेतु का महत्व
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वैज्ञानिक धूमकेतु का अध्ययन करके सौरमंडल की शुरुआत की जानकारी प्राप्त कर रहे हैं।
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इसमें जैविक यौगिक मिलने से जीवन की उत्पत्ति के सूत्र मिल सकते हैं।
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भविष्य में स्पेस माइनिंग में भी धूमकेतु महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
20 महत्वपूर्ण सवाल और उनके जवाब
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प्रश्न: धूमकेतु क्या होता है?
उत्तर: धूमकेतु एक बर्फ, धूल और गैस से बना खगोलीय पिंड होता है जो सूर्य के चारों ओर कक्षा में घूमता है। -
प्रश्न: धूमकेतु की पूंछ कैसे बनती है?
उत्तर: सूर्य के पास आने पर धूमकेतु की बर्फ और गैस वाष्पित हो जाती है, जिससे पूंछ बनती है। -
प्रश्न: धूमकेतु का नाभिक क्या होता है?
उत्तर: धूमकेतु का ठोस और केंद्रीय भाग नाभिक कहलाता है। -
प्रश्न: सबसे प्रसिद्ध धूमकेतु कौन-सा है?
उत्तर: हैली का धूमकेतु। -
प्रश्न: धूमकेतु की पूंछ किस दिशा में होती है?
उत्तर: हमेशा सूर्य की विपरीत दिशा में। -
प्रश्न: क्या धूमकेतु पृथ्वी से टकरा सकते हैं?
उत्तर: बहुत दुर्लभ संभावना है, लेकिन वैज्ञानिक इस पर नजर रखते हैं। -
प्रश्न: धूमकेतु कहां से आते हैं?
उत्तर: मुख्यतः कूपर बेल्ट और ओआर्ट क्लाउड से। -
प्रश्न: धूमकेतु की कोमा क्या होती है?
उत्तर: गैस और धूल से बना धुंधलका जो नाभिक के चारों ओर होता है। -
प्रश्न: धूमकेतु कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर: आम तौर पर दो प्रकार – लघुकालिक और दीर्घकालिक। -
प्रश्न: हैली का धूमकेतु कितने वर्षों में आता है?
उत्तर: लगभग 76 वर्षों में। -
प्रश्न: धूमकेतु और उल्का पिंड में क्या अंतर है?
उत्तर: धूमकेतु बर्फीले होते हैं जबकि उल्का पिंड पत्थरों के होते हैं। -
प्रश्न: धूमकेतु की पूंछ कितनी लंबी हो सकती है?
उत्तर: लाखों किलोमीटर तक। -
प्रश्न: क्या धूमकेतु जीवन के लिए खतरनाक हैं?
उत्तर: नहीं, अभी तक ऐसा कोई प्रमाण नहीं है। -
प्रश्न: Rosetta मिशन किस धूमकेतु पर गया था?
उत्तर: 67P/Churyumov-Gerasimenko पर। -
प्रश्न: NEOWISE क्या है?
उत्तर: 2020 में दिखने वाला एक चमकदार धूमकेतु। -
प्रश्न: ओआर्ट क्लाउड क्या है?
उत्तर: सूर्य से बहुत दूर स्थित बर्फीले पिंडों का एक क्षेत्र। -
प्रश्न: धूमकेतु में कौन-कौन सी गैसें होती हैं?
उत्तर: मुख्यतः पानी की भाप, कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड। -
प्रश्न: धूमकेतु का अध्ययन क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: इससे सौरमंडल की उत्पत्ति और जीवन की शुरुआत को समझा जा सकता है। -
प्रश्न: हेल-बॉप किस वर्ष में दिखाई दिया था?
उत्तर: 1997 में। -
प्रश्न: क्या धूमकेतु का कोई धार्मिक या पौराणिक महत्व रहा है?
उत्तर: हाँ, प्राचीन समय में इसे अशुभ संकेत माना जाता था।
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