परिनिर्माण भवन बाबा साहब अम्बेडकर के बारे मे विस्तार से आसान शब्दों में जाने ?

 परिनिर्माण भवन और बाबा साहब अंबेडकर

परिनिर्माण भवन बाबा साहब अम्बेडकर के बारे मे विस्तार से आसान शब्दों में जाने ?


परिचय:

डॉ. भीमराव अंबेडकर (1891-1956) भारतीय संविधान के प्रमुख शिल्पकार थे। वे एक समाज सुधारक, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री और राजनेता थे, जिन्होंने दलितों, महिलाओं और पिछड़े वर्गों के अधिकारों के लिए जीवन भर संघर्ष किया। उनके जीवन का अंतिम चरण बौद्ध धर्म की ओर मुड़ने और सामाजिक समानता की स्थापना के प्रयासों से जुड़ा हुआ है।


परिनिर्माण भवन का महत्व

"परिनिर्माण" शब्द का बौद्ध धर्म में विशेष महत्व है। यह शब्द महापरिनिर्वाण से जुड़ा हुआ है, जो गौतम बुद्ध की मृत्यु को दर्शाता है। बाबा साहब अंबेडकर ने भी अपने जीवन के अंतिम वर्षों में बौद्ध धर्म की दीक्षा ली और सामाजिक परिवर्तन के लिए इसे एक प्रभावी माध्यम बनाया।


डॉ. अंबेडकर का अंतिम निवास, जिसे "परिनिर्माण भवन" कहा जाता है, मुंबई में स्थित है। यह स्थान अंबेडकर के जीवन के अंतिम दिनों का साक्षी है और उनके अनुयायियों के लिए एक तीर्थस्थल के रूप में पूजनीय बन गया है।


बाबा साहब अंबेडकर का जीवन और योगदान


1. प्रारंभिक जीवन और शिक्षा


डॉ. अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू में हुआ था। वे महार जाति से संबंध रखते थे, जिसे तत्कालीन भारतीय समाज में अछूत माना जाता था। उन्होंने अनेक सामाजिक भेदभाव झेले, लेकिन शिक्षा के प्रति उनकी रुचि और संघर्षशीलता ने उन्हें ऊंचाइयों तक पहुँचाया।


अंबेडकर ने मुंबई विश्वविद्यालय से स्नातक किया और कोलंबिया विश्वविद्यालय (अमेरिका) और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से उच्च शिक्षा प्राप्त की।


2. सामाजिक सुधार और दलित आंदोलन


डॉ. अंबेडकर ने अछूतों के अधिकारों के लिए कई आंदोलन चलाए, जिनमें प्रमुख थे:


महाड़ सत्याग्रह (1927): यह आंदोलन सार्वजनिक जलाशयों और मंदिरों में अछूतों के प्रवेश के अधिकार के लिए था।


नासिक का कालाराम मंदिर सत्याग्रह: दलितों को मंदिरों में प्रवेश दिलाने के लिए यह आंदोलन किया गया।


विधान परिषद में सुधार: अंबेडकर ने समाज सुधार और दलितों की राजनीतिक भागीदारी को लेकर कई प्रयास किए।



3. भारतीय संविधान के निर्माता


डॉ. अंबेडकर संविधान सभा की ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष थे। उन्होंने संविधान में सामाजिक समानता, मौलिक अधिकार, धर्मनिरपेक्षता और आरक्षण जैसी व्यवस्थाएँ कीं, जिससे समाज में पिछड़े वर्गों को आगे बढ़ने का अवसर मिले।


4. बौद्ध धर्म की दीक्षा


डॉ. अंबेडकर ने 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर में अपने लाखों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म की दीक्षा ली। उन्होंने पंचशील सिद्धांतों को अपनाया और अपने अनुयायियों को सामाजिक भेदभाव से मुक्त होने का संदेश दिया।


परिनिर्माण भवन का ऐतिहासिक महत्व


मुंबई के दादर स्थित इस भवन में डॉ. अंबेडकर ने अपने जीवन के अंतिम दिन बिताए थे। 6 दिसंबर 1956 को यहीं पर उनका महापरिनिर्वाण हुआ। यह स्थान आज भी लाखों लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बना हुआ है।


परिनिर्माण भवन में संरक्षित वस्तुएँ


परिनिर्माण भवन में डॉ. अंबेडकर से जुड़ी कई महत्वपूर्ण वस्तुएँ रखी गई हैं, जैसे:


उनकी निजी पुस्तकें और पांडुलिपियाँ


उनकी कुर्सी और मेज


उनके द्वारा उपयोग किए गए कपड़े और सामान


बौद्ध धर्म से संबंधित साहित्य



परिनिर्माण भवन का सांस्कृतिक और सामाजिक प्रभाव


परिनिर्माण भवन आज भी दलित आंदोलन, बौद्ध धर्म और सामाजिक न्याय के विचारों का केंद्र बना हुआ है। हर साल 6 दिसंबर को लाखों अनुयायी यहाँ आकर बाबा साहब को श्रद्धांजलि देते हैं।


निष्कर्ष


परिनिर्माण भवन न केवल बाबा साहब के जीवन के अंतिम दिनों की याद दिलाता है, बल्कि यह सामाजिक क्रांति और समानता का प्रतीक भी है। डॉ. अंबेडकर का योगदान भारतीय समाज में अमूल्य

 है और उनकी शिक्षाएँ आज भी लाखों लोगों को प्रेरित करती हैं।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ