भारत के संविधान का संक्षिप्त इतिहास ? Brief History of the Constitution of India?

 भारत के संविधान का संक्षिप्त इतिहास आसान भाषा में आसान  शब्दों में विस्तार से बताए

भारत के संविधान का संक्षिप्त इतिहास?




भारत के संविधान का संक्षिप्त इतिहास


भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। यह 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ, जिसने भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य बनाया। इस संविधान का निर्माण एक लंबी ऐतिहासिक प्रक्रिया का परिणाम था, जिसमें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, विभिन्न कानूनों, प्रस्तावों और समितियों का योगदान रहा। आइए इस पूरे इतिहास को विस्तार से समझते हैं।


प्राचीन और मध्यकालीन काल में शासन व्यवस्था


भारत में शासन की परंपरा बहुत पुरानी है। प्राचीन काल में मनुस्मृति, अर्थशास्त्र और न्यायशास्त्र जैसे ग्रंथ शासन व्यवस्था को निर्धारित करते थे। मौर्य और गुप्त साम्राज्य के समय प्रशासनिक ढांचा संगठित हुआ। मध्यकाल में दिल्ली सल्तनत और मुगल शासन में शाही फरमानों और धार्मिक कानूनों के आधार पर प्रशासन संचालित होता था।


ब्रिटिश शासन और संविधान का विकास


ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में कई महत्वपूर्ण संवैधानिक परिवर्तन हुए, जो आगे चलकर भारतीय संविधान की नींव बने।


1. रेगुलेटिंग एक्ट, 1773


यह भारत में ब्रिटिश शासन को नियमित करने वाला पहला कानून था। इससे गवर्नर-जनरल की नियुक्ति हुई और ब्रिटिश संसद ने भारतीय प्रशासन पर नियंत्रण बढ़ाया।


2. पिट्स इंडिया एक्ट, 1784


इसने भारत में ब्रिटिश प्रशासन को दो भागों में बाँट दिया -


1. कोर्ट ऑफ डायरेक्टर्स (व्यापार का संचालन)



2. बोर्ड ऑफ कंट्रोल (राजनीतिक नियंत्रण)




3. चार्टर एक्ट, 1833


इस एक्ट ने पहली बार भारत में कानून बनाने की शक्ति गवर्नर-जनरल को दी और भारत में विधायी सुधार की शुरुआत हुई।


4. भारतीय परिषद अधिनियम, 1861


इस अधिनियम से ब्रिटिश सरकार ने भारतीयों को विधायी परिषद में शामिल किया।


5. भारत सरकार अधिनियम, 1935


यह भारत के संविधान का आधार माना जाता है। इसने संघीय व्यवस्था, द्वैध शासन और स्वतंत्र न्यायपालिका का प्रावधान किया।

संविधान निर्माण की प्रक्रिया

1. भारतीय संविधान सभा का गठन


9 दिसंबर 1946 को संविधान सभा का पहला सत्र हुआ। इसके अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद थे और संविधान के प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अंबेडकर थे।


2. संविधान निर्माण की प्रमुख समितियाँ


संविधान निर्माण में कई महत्वपूर्ण समितियों की भूमिका रही:


3. संविधान के निर्माण में योगदान


2 साल 11 महीने 18 दिन में संविधान तैयार हुआ।


इसमें अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, आयरलैंड आदि देशों के संविधानों से महत्वपूर्ण प्रावधान लिए गए।


संविधान में कुल 395 अनुच्छेद, 22 भाग और 8 अनुसूचियाँ थीं (अब संशोधन के बाद इसमें बदलाव हुआ है)।

संविधान का लागू होना - 26 जनवरी 1950


संविधान 26 नवंबर 1949 को स्वीकार किया गया, लेकिन इसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया। इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।


संविधान की प्रमुख विशेषताएँ


1. संप्रभुता (Sovereignty) – भारत किसी भी बाहरी शक्ति से स्वतंत्र है।

2. लोकतंत्र (Democracy) – जनता द्वारा चुनी गई सरकार शासन करती है।

3. धर्मनिरपेक्षता (Secularism) – सरकार किसी धर्म को बढ़ावा नहीं देती।

4. संघीय व्यवस्था (Federalism) – केंद्र और राज्य सरकारों के बीच शक्तियों का विभाजन।

5. मौलिक अधिकार (Fundamental Rights) – नागरिकों को स्वतंत्रता, समानता और जीवन का अधिकार।

6. न्यायपालिका की स्वतंत्रता – न्यायपालिका कार्यपालिका और विधायिका से स्वतंत्र है।

संवधान में संशोधन और विकास


संविधान को समय-समय पर संशोधित किया गया है। अब तक 100+ संशोधन हो चुके हैं। कुछ महत्वपूर्ण संशोधन:


1. 42वाँ संशोधन (1976) – समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष शब्द जोड़े गए।

2. 44वाँ संशोधन (1978) – संपत्ति का अधिकार मौलिक अधिकार से हटा दिया गया।

3. 73वाँ और 74वाँ संशोधन (1992) – पंचायती राज और नगरपालिकाओं को संवैधानिक दर्जा दिया गया।

निष्कर्ष


भारत का संविधान न केवल दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है, बल्कि यह भारतीय समाज की विविधता को समाहित करने वाला एक महत्वपूर्ण दस्तावेज भी है। यह समय के साथ विकसित होता रहा है और आज भी इसकी प्रासंगिकता बनी हुई है। संविधान ने भारत को एक मजबूत लोकतंत्र बनाया है, जहाँ 

जनता की संप्रभुता सर्वोपरि है।


"हमारा संविधान सिर्फ कागजों का एक दस्तावेज़ नहीं, बल्कि हमारे लोकतंत्र की आत्मा है।"


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